Maternity Leave क्या है | मैटरनिटी लीव मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला 2023

Maternity Leave in Hindi : Maternity Rules in India 2023 – भारत में देश के सभी राज्‍यों के सरकारी व गैरसरकारी संस्‍थानों में प्रेग्‍नेंट महिलाओं को मातृत्‍व अवकाश नाम की सुविधा प्रदान की जाती है। महिलाओं को यह मैटरनिटी लीव बच्‍चे के जन्‍म के समय मिलती है।

मैटरनिटी लीव प्रसव के कुछ पहले से लेकर कुछ सप्‍ताह बाद की अवधि के लिये होती है। मातृत्‍व अवकाश के दौरान महिलायें पूरी तरह छुटटी पर होती हैं और वह अपना ज्‍यादा समय नवजात बच्‍चे के साथ गुजारने व उनकी देखभाल आदि करने में बिताती हैं।

कामकाजी महिलाओं के लिये प्रसव पूर्व तथा प्रसव बाद की अवधि का समय बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में महिला ऑफिस / संस्‍थान आदि में जाकर काम करने में असुविधा महसूस करती है। साथ ही नये बच्‍चे को मां की सबसे ज्‍यादा जरूरत होती है। यही कारण है कि भारत में Maternity Leave संशोधन अधिनियम 2017 के तहत महिलाओं को मातृत्‍व अवकाश संबंधी नियमों को पहले से अधिक बेहतर व तर्कसंगत बनाया गया है।

आज की इस पोस्‍ट में हम आपको Maternity Leave | Maternity Leave Application | Maternity Leave Rules Uttar Pradesh | Prasuti Avkash आदि के विषय में विस्‍तार से जानकारी प्रदान की जा रही है। कृप्‍या इस पोस्‍ट को अंत तक पढ़ कर मातृत्‍व अवकाश संबंधी नियमों की बेहतर जानकारी हासिल करें।

Maternity Leave क्‍या है – मातृत्‍व अवकाश क्‍या होता है व इस अवकाश की जरूरत क्‍यों पड़ती है

Maternity Leave Rules Uttar Pradesh in Hindi
मातृत्‍व अवकाश संबंधी जरूरी जानकारी नियम कानून के साथ

Maternity Leave Kya Hai : सबसे पहले हम इस बात को जानेंगें कि आखिर मातृत्‍व अवकाश क्‍या है? प्रत्‍येक प्रसूति महिला को मैटरनिटी लीव की जरूरत क्‍यों पड़ती है।

मातृत्‍व अवकाश के तहत महिलाओं को प्रसव पूर्व तथा प्रसव बाद छुटटी प्रदान की जाती है। मातृत्‍व अवकाश संशोधन अधिनियम 2017 के तहत कोई भी कामकाजी गर्भवती महिला 26 सप्‍ताह की मैटरनिटी लीव की हकदार होती है।

मातृत्‍व अवकाश की अवधि प्रसव की अनुमानित अवधि से 8 सप्‍ताह पहले से स्‍टार्ट हो जाती है। इस प्रकार की मैटरनिटी लीव महिला को पहले 2 प्रसव के दौरान मिलती है, तीसरे प्रसव के लिये दूसरे नियम लागू होते हैं। जिसके बारे में आपको जानकारी नीचे विस्‍तार से दी जायेगी।

मातृत्‍व अवकाश प्रत्‍येक गर्भवती महिला का अधिकार है। इस प्रकार की Leave के लिये आने वाले आवेदन को विभागीय स्‍तर पर प्राथमिकता के आधार पर विचार करना होता है। Maternity Leave की यह वयवस्‍था सरकारी विभागों तथा निजी क्षेत्र की कंपनियों / संस्‍थानों में समान रूप से लागू होती है क्‍योंकि मातृत्‍व अवकाश (संशोधन) अधिनियम 2017 के तहत गर्भवती महिलाओं को कानूनी संरक्षण प्रदान किया गया है।

Maternity Leave (मातृत्‍व अवकाश) के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट कौन सा बड़ा फैसला दिया है आइये जानें

Maternity Leave News 2023 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मार्च 2023 में एक मातृत्‍व अवकाश से जुड़े एक मामले में बहुत बड़ा और महत्‍वपूर्णं फैसला सुनाया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एटा के बच्‍चे के जन्‍म देने के बाद मैटरनिटी लीव देने से इन्‍कार करने के आदेश को अवैध करार देते हुये रदद कर दिया है व प्राइमरी स्‍कूल हीरापुरा की प्रधानाध्‍यापिका याची को बकाया सहित नियमित वेतन भुगतान करने का निर्देश जारी किया है।

इस मामले में उच्‍च न्‍यायालय ने बेसिक शिक्षा अधिकारी एटा को 2 सप्‍ताह में आदेश जारी करने का निर्देश भी दिया है। आपकी जानकारी के लिये बता दें कि मातृत्‍व अवकाश मामले में बीएसए एटा ने दलील दी थी कि बच्‍चे के जन्‍म के बाद मातृत्‍व अवकाश नहीं मिलेगा, याची चाहे तो चाइल्‍ड केयर अवकाश ले सकती है। लेकिन याची ने 180 दिन का मातृत्‍व अवकाश मांगा था। इस मांग को खारिज करने की वैधता को याचिका में चुनौती दी गयी थी।

जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला देते हुये कहा कि ‘’ बच्‍चे के जन्‍म देने के बाद Maternity Leave देने से इन्‍कार नहीं किया जा सकता है। कानून के तहत महिला को जन्‍म के बाद भी मातृत्‍व अवकाश पाने का अधिकार है। अदालत ने आगे कहा कि मातृत्‍व अवकाश व चाइल्‍ड केयर अवकाश दोनों अलग अलग अवकाश हैं। दोनों एक साथ लिये जा सकते हैं। यदि बच्‍चे का जन्‍म हो चुका है तो भी इस आधार पर मातृत्‍व अवकाश देने से इन्‍कार करना गलता है।‘’

परिवहन निगम उत्‍तर प्रदेश में Maternity Leave की अवधि कितनी है

यूपी परिवहन निगम में सरकारी नौकरी कर रही महिलाओं को अब उत्‍तरप्रदेश के अन्‍य विभागों की तरह मैटरनिटी लीव की अवधि को 135 दिन से बढ़ा कर 180 दिन कर दिया गया है। मातृत्‍व अवकाश के दौरान महिला कर्मचारियों को पहले किये गये वेतन के बराबर ही भुगतान किया जायेगा। साथ ही परिवहन विभाग में चाइल्‍ड केयर अवकाश भी अन्‍य विभागों की तरह समान कर दिया गया है।

विश्वविद्यालयों / महाविद्यालयों में महिला टीचर्स व महिला विद्धार्थियों के लिये लिये मातृत्‍व अवकाश संबंधी क्‍या नियम तय किये गये हैं

कुछ समय पहले तक उत्‍तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों / महाविद्यालयों में Maternity Leave केवल महिला टीचर्स को ही मिलती थी। लेकिन अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने यूनिवर्सिटियों के वाइस चांसलर से स्‍नातक / परास्‍नातक कर रही छात्राओं को भी मैटरनिटी लीव प्रदान करने के लिये, उनकी कैंपस में हाजिरी में राहत प्रदान करने के लिये उचित नियम बनाने के दिशा निर्देश जारी किये हैं।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने साल 2016 में मातृत्‍व अवकाश के संबंध में एक नया प्रावधान जोड़ा था। जिसे अब देश के सभी राज्‍यों में संचालित यूनिवर्सिटियों एवं महाविद्यालयों में लागू किया जा रहा है। यूपी में इस नियम को लागू कर दिया गया है। लेकिन स्‍नातक / परास्‍नातक कर रही छात्राओं को मैटरनिटी लीव UGC की गाइडलाइन के अनुसार ही छुटटी प्रदान की जायेगी।

क्‍या सरोगेट मदर को भी Maternity Leave मिल सकती है

जी हां, मातृत्‍व अवकाश अधिनियम में संशोधन के उपरांत इस कानून में इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि सरोगेट मदर को भी अन्‍य प्रसूति महिलाओं की तरह मातृत्‍व अवकाश दिया जाये। इसके लिये CCS (अवकाश) नियम 1972 के अधिनियम 43 (1) के तहत बच्‍चे को गोद लेने वाली महिला कर्मचारी को भी मैटरनिटी लीव लेने का पूरा अधिकार है। इसलिये मातृत्‍व लाभ (संशोधन) अधिनियम 2017 के तहत उन सभी महिला कर्मचारियों को 12 सप्‍ताह का वैतनिक अवकाश देने का प्रावधान जोड़ा गया है।

ऐसी सरकारी / गैरसरकारी महिला कर्मचारी जिन्‍होंनें 3 माह या इससे छोटे शिशु को गोद लिया है अथवा सेरोगेसी के जरिये बच्‍चा पैदा हुआ है, वह सभी महिलायें उसी समय मातृत्‍व अवकाश लेने के योग्‍य हो जाती हैं, जब बच्‍चा पैदा होता है या गोद लिया जाता है।

प्रसव के बाद शिशु की मृत्‍यु हो जाने पर मातृत्‍व अवकाश का नियम क्‍या है

प्रसव के उपरांत यदि शिशु की मृत्‍यु हो जाने पर भारत सरकार ने मातृत्‍व अवकाश (Maternity Leave) के संबंध में नया आदेश जारी किया है। भारत सरकारी की ओर से यह आदेश कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के द्धारा जारी किया है। इस आदेश में स्‍पष्‍ट लिखा है कि महिला कर्मचारी के प्रसव के बाद शिशु की मृत्‍यु  होने अथवा मृत शिशु पैदा होने की स्थिति में में भी 60 दिनों का विशेष मातृत्‍व अवकाश प्रदान किया जायेगा।

मृत शिशु पैदा होने / प्रसव बाद शिशु की मृत्‍यू होने पर मातृत्‍व अवकाश देने का मूल कारण क्‍या है?

देश के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग का मानना है कि महिला कर्मचारी को मृत शिशु पैदा होने अथवा शिशु के जन्‍म के तुरंत या कुछ समय बाद मृत्‍यू हो जाने की स्थिति में मां को गहरा सदमा लगता है। एक मां के जीवन पर नवजात शिशु की मौत बहुत गहरी भावनात्‍मक चोट पहुंचती है। ऐसे में 60 दिनों का मातृत्‍व अवकाश शिशु खो चुकी महिलाओं को सदमें से बाहर निकालने में अहम भूमिका अदा कर सकता है।

क्‍या मृत शिशु पैदा होने / नवजात शिशु की मृत्‍यू हो जाने पर मातृत्‍व अवकाश के लिये अलग मेडिकल प्रमाण पत्र देना पड़ता है?

प्रसूति महिला कर्मचारी जब सामान्‍य मातृत्‍व अवकाश के लिये विभागीय आवेदन करती है व उसके बाद उसे मृत शिशु पैदा होने अथवा प्रसव उपरांत शिशु की मृत्‍यू हो जाने पर मातृत्‍व अवकाश लेने के लिये अलग से मेडिकल प्रमाण पत्र देने की जरूरत नहीं है। इसे मात्र प्रार्थना पत्र में सूचना दिये जाने भर से प्रोसेस पूरा हो जाता है।

शिशु की मृत्‍यु होने पर अवकाश संबंधी नियम क्‍या है?

यह नियम केंद्र सरकार के विभागों में लागू है, कुछ राज्‍य भी इस नियम को फॉलो करते हैं। यदि केंद्र सरकार के विभाग में कार्यरत महिला कर्मचारी ने 180 दिन की Maternity Leave नहीं ली है, तो मृत शिशु पैदा होने अथवा नवजात बच्‍चे की 28 दिन के अंदर मृत्‍यु हो जाने पर 60 दिनों का मातृत्‍व अवकाश दिया जा सकता है।

60 दिनों की Maternity Leave  केंद्रीय कर्मचारियों को किन नियमों के आधार पर मिलती है

  • केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग का यह आदेश केवल केंद्रीय सरकार के विभागों पर लागू होता है।
  • विशेष मातृत्‍व अवकाश केवल उन महिला कर्मचारियों को मिलेगा जिनकी 2 से कम जीवित संतानें हैं।
  • बच्‍चों का प्रसव अधिकृत अस्‍पताल होना जरूरी है।
  • अधिकृत अस्‍पताल सरकारी तथा निजी दोनों हो सकते हैं लेकिन उनका केंद्र सरकार की स्‍वास्‍थ्‍य योजना पैनल में शामिल होना जरूरी है।
  • ऐसे प्रसव जो अधिकृत अस्‍पतालों में नहीं हुये हैं, उन्‍हें निजी अस्‍पताल में आपात स्थिति में प्रसव होने पर इमरजेंसी प्रमाणपत्र देना जरूरी होगा।

FAQ – मातृत्‍व अवकाश संबंधी अक्‍सर पूछे जाने वाले सवाल

Maternity Leave Rules Uttar Pradesh क्‍या हैं

उत्‍तरप्रदेश में मातृत्‍व अवकाश संशोधन अधिनियम 2017 पूरी तरह प्रभावी है। जिसके तहत 180 दिन के मातृत्‍व अवकाश का प्रावधान प्रदेश के सभी विभागों के द्धारा किया गया है। जिन विभागों में मातृत्‍व अवकाश संबंधी पुराने नियम लागू हैं उन्‍हें भी संशोधित शासनादेश के तहत नियमों में बदलाव करना पड़ रहे हैं। साथ ही विभिन्‍न विभागों में कानून संगत कुछ अन्‍य प्रभावी नियम लागू हैं, जिनके आधार पर ही Maternity Leave प्रदान की जाती है।

क्‍या मैटरनिटी बेनिफिट एक्‍ट प्रसूति महिला कर्मचारियों को मातृत्‍व अवकाश लेने का अधिकार प्रदान करता है?

जी हां, मैटरनिटी बेनिफिट एक्‍ट (संशोधन) 2017 के तहत प्रत्‍येक वेतनभोगी महिला कर्मचारी को मातृत्‍व अवकाश लेने का अधिकार प्रदान करता है।

तो दोस्‍तों यह थी हमारी आज की पोस्‍ट Maternity Leave Kya Hai | मैटरनिटी लीव मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला 2023 यदि आप मैटरनिटी लीव इन हिंदी के बारे में कोई अन्‍य प्रश्‍न पूछना चाहते हैं तो आप हम से कमेंट बॉक्‍स के जरिये पूछ सकते हैं।

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