Bihar Bhumi Bhulekh 2023 बंदोबस्त क्या है – रैयतों के लिये नियम

Bihar Bhumi Bhulekh Naksha Helpful Information & Rules : Bhulekh Bihar 2023 के संदर्भ में बिहार सरकार के द्धारा समय समय पर विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्‍त के कार्य एवं प्रक्रिया कराई जाती है। यह सर्वेक्षण राज्‍य के भू-स्‍वामियों के लिये बहुत ही महत्‍वपूर्णं होता है।

इस दौरान Bihar Bhulekh Naksha नये सिरे से तैयार किया जाता है। जिसके लिये गांव स्‍तर पर Special Survey किया जाता है। जिसके बाद भू स्‍वामी के खेसरा के Map को अंतिम रूप देकर अमलीजामा पहनाया जाता है।

बिहार भूलेख का फाइनल नक्‍शा बन जाने के बाद बंदोबस्‍त प्रक्रिया शुरू की जाती है। जिसके अंतर्गत भूमि की प्रकृति व भूमि के प्रकार व उपयोग के तहत रैयतों पर रैयतवार भू – लगान तय किया जाता है।

आज की इस पोस्‍ट में हम आपको Bihar Bhulekh New Information | रैयतों के कर्तव्‍य बिहार | Bihar Bhumi Jankari | Property Registration Details of Bihar | Bihar Land Record | Old Bhumi Jankari Bihar | Khata Khasra | भूलेख बिहार आदि के बारे में विस्‍तार से जानकारी देने जा रहे हैं। कृप्‍या इसे ध्‍यानपूर्वक पढ़ें।

Bihar Bhumi Bhulekh Naksha के लिये Special Survey क्‍या है

bihar bhumi bhulekh bhu naksha khasra khatauni jamabandi kistwar hadbandi
बिहार भूलेख की संपूर्णं जानकारी

बिहार सरकार के द्धारा Bihar Bhumi Bhulekh के लिये स्‍पेशल सर्वे कार्य समय समय पर कराये जाते हैं। य‍ह एक जरूरी प्रक्रिया है। जिसके तहत बिहार की सभी रैयतों जो किसी भूखंड की मालिक होती हैं। के Land Record व Khatiyan के आधार पर प्रत्‍येक रैयत का वर्तमान परिस्थिति के अनुसान नया भू नक्‍शा तैयार किया जाता है।

जब भी इस प्रकार के सर्वे सरकार के द्धारा कराये जाते हैं, तो इस समय बिहार के भू स्‍वामियों / सभी प्रकार की रैयतों को इस प्रक्रिया में ध्‍यानपूर्वक शामिल होना चाहिये। यदि आप इन सर्वेक्षणों में अपनी भूमि के मालिकाना हक को गंभीरता पूर्वक स्‍पष्‍ट करते हैं तो आपकी भूमि के अधिकार क्षेत्र का स्‍पष्‍ट नक्‍शा व भू – स्‍वामित्‍व मेंटेन कर पाने में सफल होते हैं।

Bihar Bhumi Bhulekh विशेष सर्वेक्षण व बंदोबस्‍त अधिनियम का उद्देश्य क्‍या है

बिहार भूलेख के तहत स्‍पेशल सर्वे एवं बंदोबस्‍त अधिनियम का उद्देश्य नयी व हाईटेक टेक्‍नोलॉजी की मदत से डिजिटल Bhulekh Bihar Naksha व अधिकार दस्‍तावेजों को डिजिटल रूप में संरक्षित रखना है। साथ ही दस्‍तावेजों, नक्‍शों के संधारण व संरक्षण की निरंतर प्रक्रिया को बनाये रखना है। इस प्रकार के Special Survey भूमि संबंधी सूचनाओं का एकत्रीकरण तथा उनका उचित रूप से प्र‍बंधन करते हुये इनके भू स्‍वामियों को सरल / एकीकृत व प्रभावी रूप से सेवायें प्रदान करना है।

Bihar Bhumi Bhulekh के कैडेस्‍ट्रल व रिवीजनल सर्वे क्‍या होते हैं?

बिहार में विशेष सर्वेक्षण की व्‍यवस्‍था लागू होने से पहले बिहार काश्‍तकारी अधिनियम 1885 के तहत Land Survey  का काम 1898-1920 तक किया गया था। इस समय देश पर अंग्रेजों का राज था। इस सर्वे को को ही कैडेस्‍ट्रल सर्वे का नाम दिया गया था।

देश को आजादी मिलने के बाद बिहार में भूलेख – बिहार भूमि का जो सर्वे किया गया उसे रिविजनल सर्वे के नाम से जानते हैं। यह सर्वे कैडेस्‍ट्रल सर्वे का रिवीजन मात्र था। इस सर्वे की कार्य पद्धति व वैधानिक तौर तरीके कैडेस्‍ट्रल सर्वे के समान थे।

Bhulekh Bihar के तहत विशेष सर्वेक्षण क्‍या है

आधुनिक बिहार में जो भी लैंड सर्वे किये जाते हैं, उन्‍हें विशेष सर्वेक्षण के नाम से जाना जाता है। इसके लिये बंदोबस्‍त का वैधानिक आधार बिहार विशेष सर्वेक्षण अधिनियम मौजूद है तथा इसकी नियमावली के आधार पर ही अब बिहार में Special Survey किये जाते हैं।

स्‍पेशल सर्वे की प्रक्रिया हवाई जहाज के द्धारा खींचे गये फोटो तथा ड्रोन की सहायता से लिये गये फोटोग्राफ के आधार पर भूमि के मैप तैयार किये जाते हैं। जिसके बाद भू लगान की जो प्रक्रिया अपनायी जाती है वह पुराने कैडेस्‍ट्रल व रिवीजनल व्‍यवस्‍था से पूरी तरह अलग है।

विशेष सर्वेक्षण से पहले Bihar Bhumi Bhulekh के संदर्भ में रैयतों को क्‍या काम करना चाहिये

विशेष सर्वेक्षण से पहले रैयतों के कर्तव्‍य

  • सबसे पहले रैयतों को अपने खेत की मेड़ को दुरूस्‍त कर लेना चाहिये। इसके लिये टेड़ी मेढ़ी मेड़ को जितना हो सके सीधा कर सीमांकित कर लेना चाहिये।
  • रैयतों को अपनी भूमि का पूरा विवरण चौहददी के साथ खसरावार स्‍वघोषणा पत्र प्रपत्र-2 में भर कर कैंप कार्यालय में देना चाहिये।
  • रैयतों को अपनी वंशावली प्रपत्र-3 (1) में भर कर जरूरी दस्‍तावेज संलंग्‍न करके बंदोबस्‍ती कार्यालय अथवा शिविरों में जमा करना चाहिये।
  • रैयतों का कर्तव्‍य है कि वह खानापूरी / किस्‍तवार समय अनिवार्य रूप से मौजूद रहना चाहिये।
  • यदि आवश्‍यक हो तो सरजमीन पर अपनी मेड़ पर पैदल चल कर अपनी चौहददी अधिकारियों के सामने स्‍पष्‍ट करनी चाहिये।
  • खुद के Bihar Bhumi Bhulekh के लिये जरूरी है कि रैयत खानापूरी पर्ची (प्रपत्र-7) एवं खसरा मानचित्र मिलने के बाद इसका मिलान ठीक से कर सकें। तथा गलती पाये जाने पर प्रपत्र – 8 में दावा / आपत्ति दर्ज करवायें।
  • किसी प्रकार के विवाद की स्थिति में रैयत को सुनवाई के समय अपना पक्ष खुद मौजूद रह कर रखना चाहिये।
  • खानापूरी अधिकार अभिलेख प्रारूप, प्रपत्र – 12 में प्रकाशित अभिलेख तथा मानचित्र का रैयत को अवलोकन करना चाहिये। व गलती पाये जाने पर प्रपत्र-14 में आरोप दायर करना चाहिये व सुनवाई के समय उपस्थित रहकर अपना पक्ष मजबूती के साथ रखना चाहिये।
  • प्रपत्र संख्‍या 20 में फाइनल रूप से प्रकाशित अधिकार अभिलेखों व Map आदि को रैयतों को चेक करना चाहिये व गलती पाये जाने पर प्रपत्र 21 के तहत दावा / आपत्ति दर्ज करानी चाहिये।
  • सभी रैयतों का कर्तव्‍य है कि वह खातियान की एक प्रति रैयती फर्द शिविर अथवा बंदोबस्‍ती कार्यालय से अनिवार्य रूप से अवश्‍य प्राप्‍त करें व उसे अपने पास सुरक्षित रखें।

बिहार भूलेख 2023 के तहत खेसरावार चौहददी के लिये स्‍वघोषणा पत्र के साथ कौन कौन से कागजात लगाना जरूरी हैं

  • जमाबंदी संख्‍या की विवरणी / मालगुजारी की रसीद की फोटो कॉपी
  • दावाकृ‍त भूमि से संबंधित दस्‍तावेजों की विवरणी
  • खातियान की नकल (यदि आपके पास है तो संलग्‍न करें)
  • मृत जमाबंदी रैयत का मृत्‍यू प्रमाण पत्र
  • यदि सक्षम न्‍यायालय का भूमि संबंधी कोई आदेश है तो उसकी प्रमाणित कॉपी की छाया प्रति
  • हित अर्जन करने वाले आवेदनकर्ता के द्धारा मृतक से उसका वारिस होने का विरासत प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी
  • आवेदनकर्ता का मोबाइल नंबर
  • आवेदनकर्ता के आधार कार्ड की फोटो कॉपी

Bihar Bhumi Bhulekh Special Survey के मुख्‍य Steps

किस्‍तवार से पहले किये जाने वाले कामों के तहत सबसे पहले प्रपत्र क्रमांक 1 से लेकर प्रपत्र क्रमांक 5 तक तैयार करके उनसे संबंधित सभी कार्यवाही पूरी कराई जाती है।

Step-1 किस्‍तवार

यह प्रक्रम मुख्‍य रूप से Maps के निर्मांण तथा उससे जुड़ी हुई अन्‍य गतिविधियों से संबंधित है।

Step – 2 खानापूरी

मैप्‍स के खसरों के मुताबिक उनके मालिकाना हक का वेरीफिकेशन करना व मालिकाना हक का निर्धारण करना है।

Step – 3 सुनवाई

किस्‍तवार / खानापूरी प्रक्रिया के दौरान तैयार किये गये Maps व अधिकार अभिलेख के प्रारूप संबंधी रैयतों की आपत्ति / दावों की सुनवाई करके उनके निपटारा किया जाता है।

Step – 4 अंतिम अधिकार अभिलेख का प्रकाशन एवं लगान निर्धा‍रण

इस प्रक्रम में किस्‍तवार – खानापूरी – सुनवाई की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद अंतिम अधिकार अभिलेख का प्रकाशन तथा रैयतों के साथ लगान बंदोबस्‍ती प्रक्रिया पूरी की जाती है।

Step – 5 अंतिम अधिकार अभिलेख के प्रकाशन के बाद की सुनवाई प्रक्रिया

जब अंतिम अधिकार अभिलेख के प्रकाशन के बाद भी यदि कोई आपत्ति आती है तो उसकी सुनवाई व उसका निस्‍तरण एवं खातियान अथवा अंतिम अधिकार अभिलेख व मानचित्र का अंतिम रूप से प्रकाशन किया जाता है। इसके साथ ही दावा लेने की प्रक्रिया भी पूर्णं हो जाती है।

बिहार भूमि भूलेख से संबंधित अधिकार अभिलेख एवं नये मानचित्र के निर्मांण व संधारण संबंधी उद्देश्य क्‍या हैं?

  • बिहार भूमि भूलेख से संबंधित रैयतों / अभिधारियों द्धारा धारित जोत भूमि विवरण खाता, खेसरा, रकबावार तैयार करना है, ताकि भूमि स्‍वामित्‍व अभिलेखों में स्‍पष्‍ट रहे कि रैयत / अभिधारी की अद्धतन जोत स्थिति तथा भू धारण की वर्तमान स्थिति क्‍या होगी।
  • सरकार तथा सरकार के विभिन्‍न उपक्रमों के मालिकाना हक वाली भूमि का विवरण तैयार करना तथा यह सुनिश्चित करना कि राज्‍य के लोकल प्रशासन के पास गैर मजरूआ आम प्रकृति तथा खास प्रकृति तथा अन्‍य भू स्‍वामित्‍व की भूमि का कुल विवरण कितना है।
  • वास्‍तविक / वैधानिक रैयत / भू स्‍वामी / जोतदार का नाम अभिलेख में अंकित करके उसे सुरक्षित रखना है।
  • भूमि पर विवाद की स्थिति आने पर सुरक्षित करके रखे गये अधिकार अभिलेखों के आधार पर विवाद के निपटारे के लिये जरूरी कागज कोर्ट के समक्ष प्रस्‍तुत करना है।
  • जोत की जमीन का वास्‍तविक लगान का निर्धारण करना तथा उसका विवरण तैयार करना है।

बिहार भूमि खसरा खतौनी भू नक्‍शा – People Also Ask – Bihar Bhumi Bhulekh

किस्‍तवार से पहले हवाई सर्वेक्षण के लिये किन बातों का ध्‍यान रखा जायेगा?

  • जो एजेंसी बिहार में किस्‍तवार से पहले हवाई सर्वेक्षण के लिये चुनी जायेगी वह निम्‍न 3 बिंदुओं को ध्‍यान में रख कर अपना काम करेगी।
  • सबसे पहले ग्राउंड कंट्रोल प्‍वाइंट की स्‍थापना करेगी
  • ऑर्थोफोटोग्रॉफ की शुद्धता का सत्‍यापन अनिवार्य रूप से करेगी
  • राजस्‍व ग्राम मैप्‍स को बनाकर उनका सत्‍यापन भी करेगी
  • बिहार का बंदोबस्‍त कार्यालय स्‍पेशन सर्वे की प्रक्रिया शुरू होने से पहले अंचल कार्यालय तथा अन्‍य कार्यालयों से कौन कौन से कागजात हासिल करेगा?
  • बंदोबस्‍ती कार्यालय सभी राजस्‍व ग्रामों की जमाबंदी पंजीयन की डिजिटल कॉपी प्राप्‍त करेगा।
  • सरकारी भूमि / गैरमजरूआ आम / खास या मालिक, कौसरे हिंद, केंद्र सरकार / राज्‍य सरकार के विभागों की भूमियों का विवरण हासिल करेगा।
  • कैडेस्‍ट्रल / रिवीजनल सर्वे व खातियान की की छाया प्रति व सॉफट कॉपी हासिल करेगा
  • अंचल में मौजूद सभी रैयतों जैसे हाट / बाजार / मेला / जलकर / फलकर से संबंधित सैरान पंजीकरण जिससे संबंधित भूमि का विवरण अंकित हो को हासिल करेगा।
  • खास महाल भूमि से संबंधित विवरणी खास महाल पंजीयन, जिला खास महाल उप समाहर्ता के द्धारा संधारित खास महाल की पंजीयन की सत्‍यापित प्रति हासिल करेगा।
  • केंद्र सरकार तथा राज्‍य सरकार के विभिन्‍न उपक्रमों के लिये अर्जित की गयी भूमि की अभिप्रमाणित प्रति हासिल करेगा।
  • बिहार रैयती भूमि में लीज नीति 2014 के तहत विभिन्‍न विभागों के द्धारा सतत लीज पर प्राप्‍त भूमि की विवरणी हासिल करेगा।
  • रैयतों द्धारा बिहार सरकार (महामहिम राज्‍यपाल) को दान में दी गयी भूमि का विवरण
  • महादलित वर्गों के लिये रैयतों तथा भू‍ स्‍वामियों से सीधे खरीद की गयी भूमि का विवरणी, भू आवंटन आदेश तथा दाखिल खारिज संबंधी शुद्धि पत्र।

बिहार भूलेख किस्‍तवार क्‍या है?

Bihar Bhulekh ( बिहार भूलेख खसरा खतौनी 2023) : के संदर्भ में किस्‍तवार का मतलब जमीन के उस हिस्‍से से है, जो बहुत से अलग अलग भूखंडों से घिरा हुआ होता है। जिस पर मेंड़ें बना कर उसका अस्तित्‍व उभारा जाता है। इन्‍हीं मेंड़ों के आधार पर एक निश्चित पैमाने के आधार पर भू स्‍वामित्‍व के पर हू-ब-हू भू नक्‍शा बनाया जाता है। इस नक्‍शे के निर्मांण की पूरी प्रक्रिया को ही किस्‍तवार कहते हैं।

आखिर बिहार भूमि किस्‍तवार अनिवार्य क्‍यों है?

किस्‍तवार प्रक्रिया के तहत बिहार की प्रत्‍येक रैयत के मालिकाना हक को सु‍रक्षित रखने व उन्‍हें प्रदर्शित करने के लिये नक्‍शों का निर्मांण किया जाता है। किस्‍तवार के आधार पर ही अधिकार अभिलेख पत्र जारी किया जाता है। इसलिये सर्वेक्षण एवं बंदोबस्‍त में किस्‍तवार के अनुसार बनाये गये अधिकार अभिलेख की भूमिका न्‍याय प्रणाली में उत्‍तम मानी जाती है।

भूलेख बिहार किस्‍तवार में टाई – लाइन का महत्‍व क्‍या होता है?

भूलेख बिहार किस्‍तवार की प्रक्रिया के क्रम में टाई – लाइन बहुत जरूरी होती है। इसके तहत FIX POINT या पहले से बने FIX POINT 3 सीमानी पत्‍थर या किसी अन्‍य स्‍थायी संरचना आदि की जांच टाई – लाइन देकर की जाती है।

किस्‍तवार प्रक्रिया करने से पहले मुस्तकिल कायम कैसे की जाती है और क्‍यों?

किस्‍तवार प्रक्रिया करने से पहले मुस्‍तकित ( Fix Point ) की जांच करने के लिये 3-3 मेड़ा अथवा चौर मेड़ा  की 3 ओर से 2.5 जरीब (66.6 x 2.5 फीट) से 7 जरीब (66.6 x 7 फीट) की लंबाई पर मौजूद 3 मेड़ा या चौर मेड़ा से टाई – लाइन चला कर की दी जाती है। यदि सरजमीन व नक्‍शे की दूरी मिल जाती है तो उस जगह पर मुस्‍तकिल यानि Fix Point निर्धारित कर दी जाती है। आपकी जानकारी के लिये बता दें कि बिना मु‍स्‍तकिल के किस्‍तवार का कार्य असंभव होता है।

Bihar Bhumi Bhulekh में दहला (+) का महत्‍व क्‍या होता है?

Bihar Bhumi Bhulekh के मानचित्र (Map) में दहला (+) 10 जरीब (1 जरीब = 66.6 फीट) होता है। जोकि नक्‍शे पर लम्‍बवत व क्षैतिज रूप में दिखाया जाता है तथा पंजा 5 जरीब होता है।

भू‍लेख बिहार में Boundary Line पर DOT (.) यानि बिन्‍दु का मतलब क्‍या होता है?

भूलेख बिहार के नक्‍शे पर बनायी गयी सरहद अथवा ग्राम सीमा के अंदर / बाहर बनाया गया होता है। यदि मैप में सीमा रेखा के बाहर बिंदू हो (DOT) तब ग्राम सीमा पर नामित मौजा का स्‍वामित्‍व रहता है। लेकिन यदि ग्राम सरहद के अंदर बिंदू दर्शाया गया है तो चौहददी नामित मौजा का स्‍वामित्‍व रहता है।

बिहार भूमि भूलेख 2023 के तहत नक्‍शे पर दिशा निर्देशांक किस ओर होता है?

प्रत्‍येक बिहार भूमि भूलेख 2023 के मानचित्र की बायीं ओर (Left Side) में दिशा निर्देशांक उल्‍लेखित किया जाता है।

बिहार भूलेख में तोखा लाइन क्‍या है?

Tokha Line (तोखा लाइन) 3 सीमानी पत्‍थर से सटी हुई होती है। जिसकी दूरी 1 जरीब (66.6 फीट) होती है।

तीन सीमाना की पहचान कैसे की जाती है? तीन सीमाना फिक्‍स कैसे किया जाता है?

तीन सीमाना को अंग्रेजी में Tri – Junction कहा जाता है। इसके लिये आसन्‍न गांवों के आमीनों को मौके पर बुला कर गांव के नक्‍शे तथा खाका के साथ फिक्सिंग किया जाता है। फिक्सिंग का तरीका यह होता है कि हर गांव के नजदीकी मुस्‍तकिल 3 सीमानी / चौहददी की दूरी माप कर एक बिंदू चिन्हित किया जाता है। इसी प्रकार अलग अलग गांवों से अलग अलग बिंदू निर्धारित किये जाते हैं। इनमें से किन्‍हीं 2 गांवों के बिंदुओं को मिलान करके फिक्‍स किया जाता है। जो दूसरे गांवों के लिये जंक्‍शन का कार्य करेंगें। ऐसा करते वक्‍त मुस्‍तकित से कटान का मिलान भी करते हुये रकवा कनेक्‍शन किया जाता है।

त्री – सीमाना क्‍या होता है?

बिहार भूलेख में त्री – सीमाना वह बिन्‍दु होता है जहां विभिन्‍न 3 मौजों की सीमायें आकर मिलती हैं। बिहार भूमि भूलेख 2023 में इसे तोखा लाइन के साथ दिखाया जाता है।

Bihar Bhumi Bhulekh से संबंधित FAQ – अक्‍सर पूछे जाने वाले सवाल

खानापूरी किसे कहते हैं?

किस्‍तवार की प्रक्रिया के दौरान तैयार नक्‍शे में सिलसिलेवार नंबर देने व खसरा के खानों की पूर्ति करने की प्रक्रिया को खानापूरी कहा जाता है।

Bihar Bhumi Bhulekh खाता क्‍या है?

किसी रैयत / अभिधारी के द्धारा धारित अलग अलग खसरो को मिला कर एक दस्‍तावेज तैयार किया जाता है, जिसे खाता बोला जाता है।

जोत किसे कहा जाता है?

बिहार काश्‍तकारी अधिनियम 1885 की धारा 3 की उपधारा (7) होल्डिंग या जोत की परिभाषा इस प्रकार है। ‘’जोत से अभिप्राय यह है कि रैयत द्धारा धारिता वैसा भूखंड जो एक पृथक काश्‍तकारी का विषय हो या विषय हों।

यदि पहले कैडेस्‍ट्रल में नदी थी लेकिन अब स्‍थान पर रैयत दखलकार है, ऐसे में प्‍लॉट काटना है अथवा नहीं?

यदि कैडेस्‍ट्रल सर्वे में पहले नदी थी तो वह राज्‍य सरकार की संपत्ति है। इसलिये बिहार सरकार के नाम दर्ज करके नदी का पूरा रकबा दर्ज किया जायेगा।

बिहार भूलेख खसरा ऑनलाइन कैसे निकालें?

बिहार भूलेख खसरा ऑनलाइन निकालनें के लिये बिहार सरकार के राजस्‍व विभाग ने ऑनलाइन पोर्टल की व्‍यवस्‍था की है। जिस पर जाकर आप आसानी से अपना भूलेख खसरा खतौनी ऑनलाइन मोड में निकाल सकते हैं।

Bihar Apna Khata Conclusion

आज हमनें आपको Bihar Bhumi Bhulekh 2023 बंदोबस्त क्या हैरैयतों के लिये नियम से संबंधित विस्‍तार से जानकारी प्रदान की है। साथ ही आपके लिये कुछ जरूरी प्रश्‍नों के समुचित उत्‍तर भी दिये हैं। यदि आपको Bihar Bhulekh , Bihar Bhulekh Khasra Online से संबंधित कोई अन्‍य प्रश्‍न पूछना चाहते हैं तो आप हमसें कमेंट बॉक्‍स के जरिये पूछ सकते हैं।

Spread the love

1 thought on “Bihar Bhumi Bhulekh 2023 बंदोबस्त क्या है – रैयतों के लिये नियम”

Leave a comment